Handstand Pose हाथो के बल उल्टा खड़े होने वाला आसन है । यह योगासन देखने में जितना कठिन लगता है उतना है नहीं , अगर इसका प्रतिदिन अभ्यास करे तो इसे आसानी से किया जा सकता है ।
शुरू में तो ये बहुत जटिल भी प्रतीत होता है क्युकी इस आसन को करने के लिए काफी शक्ति और संतुलन की आवश्कता पड़ती है , जो कि प्रतिदिन के अभ्यास से आसानी से हासिल की जा सकती है ।
1. अधिमुखा व्रक्षासना शरीर को लचीला ( फ्लेक्सिबल ) बनता है ।
2. रक्त संचार को बढ़ाता है ।
Benefits of Handstand
1. आंखो में रक्त संचार को बढ़ाता है handstand
आंखे शरीर का एक बहुत ही महत्वपूर्ण और सेंसिटिव अंग है , इसके बिना व्यक्ति जीवन जीने की सोच भी नहीं सकता और इसी लिए इसकी देखभाल करना हमारा कर्तव्य बन जाता है।
Handstand करने से हम अपनी आंखो की अनेक कमियों को दूर कर सकते है । जब हम अधोमुखा व्रक्षासन की मुद्रा में उल्टे होते है तो हमारे मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह होने लगता है जिसके कारण हमारे मस्तिष्क में रक्त संचार बढ़ता है जिससे मस्तिष्क में ऑक्सीजन की मात्रा भरपूर पहुंचती है और यह रक्त हमारे आंखो से होता हुआ संपूर्ण शरीर में प्रवाहित हो जाता है ।
2. ध्यान ( मेडिटेशन ) को बढ़ाने में सहायक
जब हम अपने हाथो के बल उल्टे खड़े होते है तो शरीर में रक्त का प्रवाह सिर की और बढ़ जाता है जिसके कारण हमारा ध्यान जल्दी केंद्रित होता है । जिसके कारण हमारी एकाग्रता बढ़ती है और ध्यान करने में सहायता मिलती है ।
3. पाचन शक्ति को बढ़ाने में सहायक
हैंण्ड स्टैंड का नियमित अभ्यास से पेट की समस्याओं से राहत मिलती है और हमारी पाचन शक्ति मजबूत होती है ।
Preparatory poses
Upper body को मजबूत करता है, हैमस्ट्रिंग और मांसपेशियों को लंबा करता है, आत्मनिरीक्षण और शांत करता है।
Ways to do dog pose
1. अपने हाथो और परो के बल आ जाए , और आगे की ओर झुक कर अपने शरीर को एक मेज कि भांति बना ले ।
2. अपने हाथो को कुछ इस प्रकार रखे की ऐसा प्रतीत हो की वह मेज की टांगे हो ।
3. फिर स्वास छोड़ते हुए कमर को ऊपर उठाएं और फिर अपने गुटने और कोहनियों को मजबूती देते हुए , अपने शरीर को...... for more info visit
2. अपने हाथो को कुछ इस प्रकार रखे की ऐसा प्रतीत हो की वह मेज की टांगे हो ।
3. फिर स्वास छोड़ते हुए कमर को ऊपर उठाएं और फिर अपने गुटने और कोहनियों को मजबूती देते हुए , अपने शरीर को...... for more info visit
2. Urdhva Prasarita Ekapadasana
पैर की हैमस्ट्रिंग और ग्लूट्स को मजबूत करता है, संतुलन बनाता है और परिप्रेक्ष्य को बदलता है।
Ways to do
1. दोनों पैरों को एक साथ रखकर खड़े हो।
2. दोनों हाथों को कान से स्पर्श कराते हुए ऊपर की तरफ़ ले जाएँ।
3. अब कमर के हिस्से को सामने की तरफ़ झुकाएँ और दोनों हाथों से दाहिने पैर का अंगूठा पकड़े एवं इसी समय बाएँ पैर को धीरे-धीरे पीछे ले जाते हुए ऊपर की तरफ़ तान दें, इस अवस्था में बायाँ पैर और सिर एक सीध में रहता है।
4. वापस मूल अवस्था में आ जाएँ।
5. यही क्रम दूसरे पैर से भी करें।
समय: नीचे झुकते समय श्वास छोड़े। अंतिम अवस्था में श्वास सामान्य रखें। मूल अवस्था में आते समय श्वास लें। 5 से 10 सेकण्ड रुकें और दोनों पैर से 3 चक्र पूरे करें।
समय: नीचे झुकते समय श्वास छोड़े। अंतिम अवस्था में श्वास सामान्य रखें। मूल अवस्था में आते समय श्वास लें। 5 से 10 सेकण्ड रुकें और दोनों पैर से 3 चक्र पूरे करें।
3. Utthita Hasta Padangusthasana
1. ताड़ासन मुद्रा में शुरू करें
2. आँख को एक बिन्दु पर केंद्रित करे।
3. साँस छोड़ने पर, अपने बाएँ पैर पर भार लाएँ और अपने दाहिने घुटने को ऊपर उठाएँ।
4. अपने पैर के अंगूठे को अपने दाहिने हाथ से पकड़े।
5. अपने बाएं कूल्हे को दृढ़ रखें और अपनी रीढ़ को लंबा करें। अपने कंधों को पीठ पर दृढ़ता से रखें, और आपकी छाती खुली रखे।
6. जब आप श्वास लेते हैं, तो रीढ़ को ज्यादा से ज्यादा मोड़ें और अपने दाहिने पैर को सामने की ओर निकालना शुरू करें।
7. लगभग 5 सांस लें , फिर जैसे ही आप सांस लें, अपने पैर को दाईं ओर लाएं और 5 और सांसों के लिए रुकें।
8. मुद्रा से बाहर आने के लिए, एक साँस पर, अपने पैर को केंद्र में वापस लाएं। जैसे ही आप पैर को नीचे लाते हैं, फर्श पर वापस आ जाते हैं।
9. दूसरी तरफ दोहराएं।
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