Dev Deepawali 2021

हर वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या को diwali का त्योहार मनाया जाता है लेकिन क्या आपको पता है दिवाली के पंद्रह दिन बाद देव दिवाली भी मनाई जाती है। इस दिन का विशेष महत्व माना जाता है। कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को देव दिवाली के रूप में मनाया जाता है। इस बार कार्तिक मास की पूर्णिमा 18 नवंबर को पड़ रही है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन देवलोक से सभी देवता वाराणसी यानि महाकाल की नगरी काशी में पधारते हैं। इसलिए कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को काशी में बहुत साज-सज्जा की जाती है। 

Dev Deepawali 2021

Dev Deepawali date and shubh muhurat 2021

पूर्णिमा तिथि 18 नवंबर 2021 की रात 12 बजकर से आरंभ हो जाएगी जो 19 नवंबर 2021 को रात 02 बजकर 26 मिनट को समाप्त होगी। देव दिवाली पर भी प्रदोष काल में पूजा की जाती है। इस बार देव दिवाली पर पूजा करने का शुभ मुहूर्त  18 नवंबर को समय 12:00 PM बजे से लेकर 02:26 PM बजे तक है।


Spiritual and historical significance of Dev Deepawali 2021

पौराणिक कथाओं के अनुसार त्रिपुरासुर नामक राक्षस के अत्याचारों से सभी बहुत त्रस्त हो चुके थे। तब सभी को उसके आतंक से मुक्ति दिलाने के लिए भगवान शिव ने उस राक्षस का संहार कर दिया। जिससे सभी को उसके आतंक से मुक्ति मिल गई। जिस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का संहार किया था, वह कार्तिक पूर्णिमा का दिन था। तभी से भगवान शिव का एक नाम त्रिपुरारी पड़ा। इससे सभी देवों को अत्यंत प्रसन्नता हुई। तब सभी देवतागण भगवान शिव के साथ काशी पहुंचे और दीप जलाकर खुशियां मनाई। कहते हैं कि तभी से ही काशी में कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दिवाली मनाई जाती रही है। इस दिन  दीप दान का बहुत महत्व माना गया है। इसलिए इस दिन विशेष रूप से दीपदान किया जाता है।


Importance of Kartik Poornima

कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दिवाली के साथ गुरु पर्व यानि Guru nanak Jyanti भी मनाई जाती है। इसलिए इस दिन का महत्व बहुत बढ़ जाता है। कार्तिक पूर्णिमा पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए हरिद्वार जाते हैं। इस दिन गंगा स्नान करने से सभी पापों का नाश हो जाता है और मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। 


Short Essay on Dev Deepawali

देव दीपावली का त्यौहार सबसे पुराने शहर वाराणसी में मनाया जाता है। यह कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव ने राक्षस त्रिपुरासुर को मारकर उसे दंडित किया था। दानव के मारे जाने के बाद देवता बहुत खुश हुए। यह त्योहार मनाने के लिए पृथ्वी पर देवताओं का स्वागत करने के लिए मनाया जाता है।

Importance of Kartik poornima

COVID-19 में देव दीपावली

देव दीपावली का त्यौहार दिवाली के 15 दिन बाद मनाया जाता है। 2020 की देव दीपावली 30 नवंबर को कोविद महामारी में हमेशा की तरह सभी विधि-विधानों का पालन करते हुए वाराणसी में मनाई गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुख्य अतिथि के रूप में उत्सव का उद्घाटन किया। इस अवसर पर सभी 84 गंगा घाटों को 15 मिलियन से अधिक मिट्टी के दीयों और मोमबत्तियों से रोशन किया गया।


देव दीपावली का स्मरणोत्सव

त्योहार से एक सप्ताह पहले घाटों की सफाई की प्रक्रिया शुरू होती है। देव दीपावली के दिन स्थानीय क्षेत्रों से संबंधित लोग शाम के समय घाटों पर पहुंच जाते हैं। पहले गंगा नदी में स्नान करने और फिर तेल और कपास की लकड़ी से दीया तैयार करने का प्रावधान है। वे दीयों को रोशन करते हैं और उन्हें नदी की सीढ़ियों पर रख देते हैं। उत्सव को देखने के लिए कई पर्यटक भी घाटों पर पहुंचते हैं। इस दिन घाटों की आबादी मिलियन तक पहुँच जाती है। खड़े होने के लिए उचित स्थान नहीं हैं। गंगा आरती की जाती है जो हमें भक्ति और आध्यात्मिकता से भर देती है।

घाटों पर बने मंदिरों और भवनों को भी दीया जलाया जाता है। बहुत से लोग विभिन्न डिजाइनों में दीयों को सजाते हैं जो एक अद्भुत रूप देते हैं। होटल भारत के विभिन्न हिस्सों के साथ-साथ दुनिया भर के मेहमानों से भरे हुए हैं। यह त्योहार वाराणसी में उत्पन्न हुआ है, लेकिन भारत के विभिन्न हिस्सों में फैला और मनाया जाता है।


कानून और व्यवस्था का रखरखाव

गंगा नदी के घाटों पर देव दीपावली के दिन लाखों लोग इकट्ठा होते हैं। जनता को सुरक्षा की आवश्यकता है। जब किसी स्थान पर सार्वजनिक सभाएँ होती हैं तो दुर्व्यवहार और गलत गतिविधियाँ होने की अधिक संभावना होती है। सरकार लोगों को पूर्ण सुरक्षा प्रदान करने के लिए उचित व्यवस्था करती है और यह सुनिश्चित करती है कि कानून और व्यवस्था बनी रहे।


निष्कर्ष

इस त्योहार पर लाखों जलते हुए दिये और मोमबत्तियों की सुंदरता का दर्शन सबसे अधिक भाता है। देव दीपावली का त्योहार भारत और दुनिया के विभिन्न हिस्सों से कई पर्यटकों और लोगों का ध्यान आकर्षित करता है। कई लोगों को इस त्यौहार के जश्न में देखने और आनन्दित होने का अवसर मिलता है जबकि कई को अभी भी मौका मिलने की प्रतीक्षा है।

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